Saturday 29 July 2017

Bhgvan malynath

जिन धर्म भारत का प्राचीन सम्प्रदाय हैं जो धर्म
कहा जाने लगा यह हिन्दू से मिलता जुलता है
अहिंसा का पालन खान पान की शुध्दता ज्यादा है
वे श्वेताम्बर दिगम्बर आदी सम्प्रदाय मैं विभक्त है णमो कार मंत्र उनका प्रिय हैं
तथापि कंही अजीब बातें है जो उसका अपना मत है
जंहा   सनातन धर्म मे सबका मूल अधिकार मुक्ति भक्ति
का है सब उस परम को प्राप्त कर सकते हैं चाहें
वह मीरा हो अनसूयाजी हो कबीरदास हो धन्ना जाट
सेना नाइ हो रैदास चर्मकार हो या सदना कसाई हो
और सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग में सभी भगवान को प्राप्त कर सकते है
लगा कि जैन मैं आजकल ऐसा  लगता है कि मान्यता
चल पड़ी है कि 24 तीर्थ कर के बाद कोई प्राप्त नही
कर सकता
अथवा यह कि पुरूष जब मुनि बन वीतराग होवे तो
प्राप्त कर सकता है
स्त्री प्रप्त नही कर सकती वह किसी जन्म मैं अच्छे कर्म
किरे तो फिर मुनी बने फिर प्राप्त कर ले
यथा 24 तीर्थंकर मैं 19 वी एक राजकन्या थी
वह ध्यान करते उसे पूर्व जन्म का ज्ञान हुआ
यथा एक बार उससे विवाह के इच्छुक कुछ पड़ोसी
राजकुमार बुलाये गए असल मे वह संन्यासी थी
पुरूष और उसके साथी मित्र थे उनमें यह कन्या
प्रमुख थी साधना मैं तेज फिर इससे कोई बात हुई
अन्त मैं सब प्राप्ति नही कर पाय
पर पुण्य बल से राजघर मिल गया
कन्या जिसका नाम मलया अर्थात  उत्कृष्टतम चन्दन
माल्या खूब सूंदर थीं उसके चरित्र विखयात था
राजकुमार विवाह को लालायित
यथा  वह एक मूर्ति बनवाती है जो हुबहू उसके जैसी थी
हल्के पर्दे के पीछे वह होती राजकुमार उसको
यह वंहा कर के विभोर हो रहे थे
पियर कंही से वह बात किये जा रही थी वे समझे फिर
कुछ वैसा की क्या भला है तो आप ऐसी है
(  खोये थे फिर जब बात बाद गई तो पर्दे से अलग एक कुमारी आ खड़ी हो गई वे सोचे कौन असली हैं
असली ने हल्का पर्दा हटाय दिया वंहा उन्हें बाद लगा कि उसमें चाल नही है अरे कुछ सोच रहे थे तो उसने ढक्कन खोल दिये उसकी गन्ध से सबके बुरे हाल हो गए ब
मलय  कहने लगी कि मेरा शरीर भी इस ही है जैसे इसमें बासी अन्न भरा था उसे भी निकृष्ट यह शरीर है इसमें क्या क्या है यह आप जानते हो े उनको
रस  सुदर बनाने वाले की महिमा जानो
राजकुमार का वैराग्य जग गया वेअपने में डूबे
फिर उन्हें किसी अलग जगह ले गई
वंहा  उन सब की पूर्व जन्म की स्मृति जगी वे जाने की
हम तो ईश्वर पाने निकले थे और कहा आ गए
यथा उन्हें यह भी पता लगा कि यह तो हमे7 अग्रगण्य
साधु है तब मलया से वे अपना हाल कहते
ओर  बोले कि हमारा मार्गदर्शन करो उसके अनुसार सब मुनि बन गए और मलया राज्य त्याग तप को समवेत
शिखर चली गई गहन साधना कर आत्मा को प्राप्त हुई
कालांतर में वही उन्नीसवीं तीर्थंकर बनी
म म  मल्यनाथ । यथा आज उस घटना को ज्यादा
वर्ष नही हुए मीरा जन कर्मा लीलावती  सहजो बाई
हिन्दू धर्म मे जाने कितनी माताएँ ज्ञान प्रप्त कर गई
राबिया सूफी थी पर ये नाम तो जाने गए न जान पाया वे न जाने कितने होंगे
पर जैन मैं नही सुना जाता शायद ऐसा  भी हो कि
मलेनाथ व अन्य हिन्दू थे पर जैन धर्म ने उन्हें मान्यता दी
उनदिनों मतसेन्द्र नाथ जी का नाथ सम्प्रदाय चलता
और उनके किंचित सयोंग से नाथ परंपरा चल पड़ी
यथा
जैन माताएँ बहने समाज मैं अच्छी जगह रखती हैं
पर आद्यात्म मैं कोई नाम नही सुना जाता पर यह आत्ममंथन का विषय है जो उनका अपना आंतरिक
मामला है।