जिन धर्म भारत का प्राचीन सम्प्रदाय हैं जो धर्म
कहा जाने लगा यह हिन्दू से मिलता जुलता है
अहिंसा का पालन खान पान की शुध्दता ज्यादा है
वे श्वेताम्बर दिगम्बर आदी सम्प्रदाय मैं विभक्त है णमो कार मंत्र उनका प्रिय हैं
कहा जाने लगा यह हिन्दू से मिलता जुलता है
अहिंसा का पालन खान पान की शुध्दता ज्यादा है
वे श्वेताम्बर दिगम्बर आदी सम्प्रदाय मैं विभक्त है णमो कार मंत्र उनका प्रिय हैं
तथापि कंही अजीब बातें है जो उसका अपना मत है
जंहा सनातन धर्म मे सबका मूल अधिकार मुक्ति भक्ति
का है सब उस परम को प्राप्त कर सकते हैं चाहें
वह मीरा हो अनसूयाजी हो कबीरदास हो धन्ना जाट
सेना नाइ हो रैदास चर्मकार हो या सदना कसाई हो
और सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग में सभी भगवान को प्राप्त कर सकते है
जंहा सनातन धर्म मे सबका मूल अधिकार मुक्ति भक्ति
का है सब उस परम को प्राप्त कर सकते हैं चाहें
वह मीरा हो अनसूयाजी हो कबीरदास हो धन्ना जाट
सेना नाइ हो रैदास चर्मकार हो या सदना कसाई हो
और सतयुग त्रेता द्वापर कलयुग में सभी भगवान को प्राप्त कर सकते है
लगा कि जैन मैं आजकल ऐसा लगता है कि मान्यता
चल पड़ी है कि 24 तीर्थ कर के बाद कोई प्राप्त नही
कर सकता
अथवा यह कि पुरूष जब मुनि बन वीतराग होवे तो
प्राप्त कर सकता है
स्त्री प्रप्त नही कर सकती वह किसी जन्म मैं अच्छे कर्म
किरे तो फिर मुनी बने फिर प्राप्त कर ले
चल पड़ी है कि 24 तीर्थ कर के बाद कोई प्राप्त नही
कर सकता
अथवा यह कि पुरूष जब मुनि बन वीतराग होवे तो
प्राप्त कर सकता है
स्त्री प्रप्त नही कर सकती वह किसी जन्म मैं अच्छे कर्म
किरे तो फिर मुनी बने फिर प्राप्त कर ले
यथा 24 तीर्थंकर मैं 19 वी एक राजकन्या थी
वह ध्यान करते उसे पूर्व जन्म का ज्ञान हुआ
यथा एक बार उससे विवाह के इच्छुक कुछ पड़ोसी
राजकुमार बुलाये गए असल मे वह संन्यासी थी
पुरूष और उसके साथी मित्र थे उनमें यह कन्या
प्रमुख थी साधना मैं तेज फिर इससे कोई बात हुई
अन्त मैं सब प्राप्ति नही कर पाय
पर पुण्य बल से राजघर मिल गया
कन्या जिसका नाम मलया अर्थात उत्कृष्टतम चन्दन
माल्या खूब सूंदर थीं उसके चरित्र विखयात था
राजकुमार विवाह को लालायित
वह ध्यान करते उसे पूर्व जन्म का ज्ञान हुआ
यथा एक बार उससे विवाह के इच्छुक कुछ पड़ोसी
राजकुमार बुलाये गए असल मे वह संन्यासी थी
पुरूष और उसके साथी मित्र थे उनमें यह कन्या
प्रमुख थी साधना मैं तेज फिर इससे कोई बात हुई
अन्त मैं सब प्राप्ति नही कर पाय
पर पुण्य बल से राजघर मिल गया
कन्या जिसका नाम मलया अर्थात उत्कृष्टतम चन्दन
माल्या खूब सूंदर थीं उसके चरित्र विखयात था
राजकुमार विवाह को लालायित
यथा वह एक मूर्ति बनवाती है जो हुबहू उसके जैसी थी
हल्के पर्दे के पीछे वह होती राजकुमार उसको
यह वंहा कर के विभोर हो रहे थे
पियर कंही से वह बात किये जा रही थी वे समझे फिर
कुछ वैसा की क्या भला है तो आप ऐसी है
( खोये थे फिर जब बात बाद गई तो पर्दे से अलग एक कुमारी आ खड़ी हो गई वे सोचे कौन असली हैं
असली ने हल्का पर्दा हटाय दिया वंहा उन्हें बाद लगा कि उसमें चाल नही है अरे कुछ सोच रहे थे तो उसने ढक्कन खोल दिये उसकी गन्ध से सबके बुरे हाल हो गए ब
मलय कहने लगी कि मेरा शरीर भी इस ही है जैसे इसमें बासी अन्न भरा था उसे भी निकृष्ट यह शरीर है इसमें क्या क्या है यह आप जानते हो े उनको
रस सुदर बनाने वाले की महिमा जानो
हल्के पर्दे के पीछे वह होती राजकुमार उसको
यह वंहा कर के विभोर हो रहे थे
पियर कंही से वह बात किये जा रही थी वे समझे फिर
कुछ वैसा की क्या भला है तो आप ऐसी है
( खोये थे फिर जब बात बाद गई तो पर्दे से अलग एक कुमारी आ खड़ी हो गई वे सोचे कौन असली हैं
असली ने हल्का पर्दा हटाय दिया वंहा उन्हें बाद लगा कि उसमें चाल नही है अरे कुछ सोच रहे थे तो उसने ढक्कन खोल दिये उसकी गन्ध से सबके बुरे हाल हो गए ब
मलय कहने लगी कि मेरा शरीर भी इस ही है जैसे इसमें बासी अन्न भरा था उसे भी निकृष्ट यह शरीर है इसमें क्या क्या है यह आप जानते हो े उनको
रस सुदर बनाने वाले की महिमा जानो
राजकुमार का वैराग्य जग गया वेअपने में डूबे
फिर उन्हें किसी अलग जगह ले गई
वंहा उन सब की पूर्व जन्म की स्मृति जगी वे जाने की
हम तो ईश्वर पाने निकले थे और कहा आ गए
यथा उन्हें यह भी पता लगा कि यह तो हमे7 अग्रगण्य
साधु है तब मलया से वे अपना हाल कहते
ओर बोले कि हमारा मार्गदर्शन करो उसके अनुसार सब मुनि बन गए और मलया राज्य त्याग तप को समवेत
शिखर चली गई गहन साधना कर आत्मा को प्राप्त हुई
कालांतर में वही उन्नीसवीं तीर्थंकर बनी
म म मल्यनाथ । यथा आज उस घटना को ज्यादा
वर्ष नही हुए मीरा जन कर्मा लीलावती सहजो बाई
हिन्दू धर्म मे जाने कितनी माताएँ ज्ञान प्रप्त कर गई
राबिया सूफी थी पर ये नाम तो जाने गए न जान पाया वे न जाने कितने होंगे
पर जैन मैं नही सुना जाता शायद ऐसा भी हो कि
मलेनाथ व अन्य हिन्दू थे पर जैन धर्म ने उन्हें मान्यता दी
वंहा उन सब की पूर्व जन्म की स्मृति जगी वे जाने की
हम तो ईश्वर पाने निकले थे और कहा आ गए
यथा उन्हें यह भी पता लगा कि यह तो हमे7 अग्रगण्य
साधु है तब मलया से वे अपना हाल कहते
ओर बोले कि हमारा मार्गदर्शन करो उसके अनुसार सब मुनि बन गए और मलया राज्य त्याग तप को समवेत
शिखर चली गई गहन साधना कर आत्मा को प्राप्त हुई
कालांतर में वही उन्नीसवीं तीर्थंकर बनी
म म मल्यनाथ । यथा आज उस घटना को ज्यादा
वर्ष नही हुए मीरा जन कर्मा लीलावती सहजो बाई
हिन्दू धर्म मे जाने कितनी माताएँ ज्ञान प्रप्त कर गई
राबिया सूफी थी पर ये नाम तो जाने गए न जान पाया वे न जाने कितने होंगे
पर जैन मैं नही सुना जाता शायद ऐसा भी हो कि
मलेनाथ व अन्य हिन्दू थे पर जैन धर्म ने उन्हें मान्यता दी
उनदिनों मतसेन्द्र नाथ जी का नाथ सम्प्रदाय चलता
और उनके किंचित सयोंग से नाथ परंपरा चल पड़ी
यथा
जैन माताएँ बहने समाज मैं अच्छी जगह रखती हैं
पर आद्यात्म मैं कोई नाम नही सुना जाता पर यह आत्ममंथन का विषय है जो उनका अपना आंतरिक
मामला है।
और उनके किंचित सयोंग से नाथ परंपरा चल पड़ी
यथा
जैन माताएँ बहने समाज मैं अच्छी जगह रखती हैं
पर आद्यात्म मैं कोई नाम नही सुना जाता पर यह आत्ममंथन का विषय है जो उनका अपना आंतरिक
मामला है।